{2.} यह प्रेम सदा भरपुर रहे !




जय श्री कृष्णा।
यह प्रेम सदा भरपुर रहे, स्वामी तुम्हारे चरणो मे।
यह अयज मेरी मंजुर रहे,स्वामी तुम्हारे चरणो मे-यह...
जीवन मैनै सौँप दिया, नंदलाल तुम्हारे हाथो मेँ,
उत्थान पतन अब मेरा भगवान तुम्हारे चरणो चरणो मे-यह.



पग धुधरु बांध मीरा नाची रे,

लोग कहे मीरा भई रे बावरी,सास कहे कुलनासी रे-पग...
जहर का प्याला राणा जी ने भेजा,पीवत मीरा हासी रे-पग...
मे तो अपने नारायण की, आपही हो गई दासी रे-पग...
मीरा के प्रभु गिरिधर नागर, बेगि मिलो अविनाशी रे-पग.

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“In this age of Kali, people who are endowed with sufficient intelligence will worship the Lord, who is accompanied by His associates, by performance of sankirtana-yajna”
- shri Madbhagvatam


"इस कलियुग में, जो लोग पर्याप्त बुद्धिमान हैं, वे भगवान् की उनके पार्षदों सहित संकीर्तन द्वारा पूजा करेंगे!"
- श्री मदभगवतम



श्री ब्रह्मा जी :
ऐसे अनेक पुरुष हैं जो भगवान् के गुणों से युक्त हैं, किन्तु कृष्ण परम हैं क्योंकि उनसे बढकर कोई नही है. वे परमपुरुष हैं और उनका शरीर सचिदानंदमयी है. वे अदि भगवान् गोविन्द हैं और समस्त कारणों के कारण है!


Lord Brahma :
There are lots of personalities possessing partial qualities of God, but Shri Krishn is the best because nobody is superior to Them. They are supreme & possess Sat-cit-ānanda body. They are the one & only Lord Vishnu & the reason of all the reasons!

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बांसुरी कि हानी


प्रश्न : एक बार बांसुरी से गोपियों ने पूछा तुम कान्हा के इतनी निकट कैसे पहुँच गयी "
 एक बार गोपियों ने बांसुरी से पुछा " री बांसुरी, तू श्री कृष्ण के होठों से कैसे चिपक गयी " ?


उत्तर : बांसुरी ने कहा " क्या बताऊँ बहना , मैं तो बासों के झुण्ड में चुपचाप 'कृष्ण-कृष्ण' रटा करती थी , एक दिन उनकी दृष्टी मुझे पर पड गयी बस फिर क्या था, पहले तो उस 'छलिये' ने मुझे मेरे कुटुंब से अलग कर दिया , फिर मुझे कांटा और छांटा , पीड़ा तो बहुत हो रही थी परन्तु मैं 'कृष्ण-कृष्ण' करती रही फिर भी उनका मन न भरा तो मेरे अन्दर जो भी था वह सब निकाल बाहर फेंका और तब भी मैं प्रेम दीवानी 'कृष्ण-कृष्ण' करती रही तब उस 'चितचोर' ने मेरे अंग में छह छेद (सुराख़ ) कर दिए और मैं पागल तब भी 'कृष्ण-कृष्ण' करती रही !!! अंत में कृष्ण ने कहा "तू जीती मैं हारा, अब तू सदा मेरे होठों पर विराजमान रहेगी" Shree Krishna......



श्री कृष्ण :

''हजारों में से कोई एक मनुष्य इस पूर्णता को पाने का प्रयास करता है और उन हजारों में से जो इस पूर्णता को पा चुके हैं, मुश्किल से कोई एक मुझे सच में जान पाता है!''
- भगवद गीता

Shree Krishn :
''Out of many thousands among men, one may endeavor for perfection, and of those who have achieved perfection, hardly one knows Me in truth!''
- Bhagwad Gita



इन सब पेजों पर आपके लिए बहुत कहानिया है,



{ Anand Verma }