{1.} दयानिधि,अब तो लो अवतार।


सुप्रभात।

जय श्रीकृष्णा।
दयानिधि,अब तो लो अवतार।
प्रबल हुआ हे असुरोँ का दल,करो शीघ्र संहार-दयानिधि...
पृथ्वी नाथ तुम्हारी पृथ्वी पर हे हाहाकार,
गो-ब्राह्मण सब टेर रहे हैँ,सुर कर रहे पुकार-दयानिधि...
क्षीरसिँधु में सोने वाले, जगपति जगदाधार,जागो आंखे खोल के देखो,हे क्या अत्याचार-दयानिधि...
जब-जब धर्म ग्लानि होती हे,हरता हूं भूभार,पूरा करो शीध्र ही आकर, अपना यह इकरार-दयानिधि..


राधे-राधे।
सुन बरसाने वाली गुलाम तेरो बनवारी।
तेरी पायलिया पे बाजे मुरलिया, छम छम नाचे गिरिधारी-गुलाम...
चंद्र से आनन पे बडी-बडी अंखियां, लट लटके घुंघराली-गुलाम...

बडी-बडी अंखियन मे झीनो-झीनो कजरा, घायल कुंज बिहारी-गुलाम...


" मेरा श्याम बहुत दयालु हैं,दिल से तू कर पुकार
श्री श्याम राधिका का,फूलों से कर श्रृंगार
वोह दो जहां का मालिक,मेरा वोह ही साथ देगा
दुनिया की ममता छोडो,मोहन से कर लो प्यार
मेरी बेबसी से मोहन,मत खेलना मुरारी
लाखो ही प्रेमी तारे,हम से तू कर दुलार
तेरी माया मोहिनी हैं,दीनो पे डालना ना
भक्ति का दान देकर,हमको भी ले उभार
'हरिदासी' जोखमो में,मेरी जान अड़ गयी हैं
सुन लो हमारी माधो,कर दे हमें भी पार.....,,

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श्री कृष्ण : 

''कर्मफल में आसक्त हुए बिना मनुष्य को अपना कर्त्तव्य समझकर निरंतर कर्म करते रहना चाहिए क्योंकि अनासक्त होकर कर्म करने से उसे परब्रह्म की प्राप्ति होती है।''

फल की आसक्ति से रहित होकर परमात्मा के लिए कार्य करना उच्चतम कोटि का पूर्ण कर्म है, जिसकी संसुक्ति भगवान कृष्ण ने की है। 

Shree Krishn :

''Without being attached to the fruits of activities, one should act as a matter of duty; for by working without attachment, one attains the Supreme.''

To act on behalf of the Supreme is to act without attachment for the result. That is perfect action of the highest degree, recommended by the Supreme Personality of Godhead, Sri Krishn.



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नरसिंह जयंती...

सभी भक्तों को हार्दिक बधाई हो... 


हिन्दू पंचांग के अनुसार "नरसिंह जयंती" का व्रत वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को किया जाता है | पुराणों में वर्णित कथाओं के अनुसार इसी पावन दिवस को भक्त प्रहलाद की रक्षा करने के लिए भगवान विष्णु ने नृसिंह रूप में अवतार लिया तथा दैत्यों का अंत कर धर्म कि रक्षा की | अत: इस कारणवश यह दिन भगवान नृसिंह के जयंती रूप में बड़े ही धूमधाम और हर्सोल्लास के साथ संपूर्ण भारत वर्ष में मनाया जाता है | 


नरसिंह... नर + सिंह ("मानव-सिंह") भगवान विष्णु का अवतार है... जो आधे मानव एवं आधे सिंह के रूप में प्रकट होते हैं, जिनका सिर एवं धड तो मानव का था लेकिन चेहरा एवं पंजे सिंह की तरह थे वे भारत में, खासकर दक्षिण भारत में वैष्णव संप्रदाय के लोगों द्वारा एक देवता के रूप में पूजे जाते हैं जो विपत्ति के समय अपने भक्तों की रक्षा के लिए प्रकट होते हैं। 







भगवान नृसिंह जयंती पूजा ...


नृसिंह जयंती के दिन व्रत-उपवास एवं पुजा अर्चना कि जाती है | इस दिन प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए तथा भगवान नृसिंह की विधी विधान के साथ पूजा अर्चना करें | भगवान नृसिंह तथा लक्ष्मीजी की मूर्ति स्थापित करना चाहिए तत्पश्चात वेदमंत्रों से इनकी प्राण-प्रतिष्ठा कर षोडशोपचार से पूजन करना चाहिभगवान नरसिंह जी की पूजा के लिए फल, पुष्प, पंचमेवा, कुमकुम केसर, नारियल, अक्षत व पीताम्बर रखें | गंगाजल, काले तिल, पञ्च गव्य, व हवन सामग्री का पूजन में उपयोग करें | 


भगवान नरसिंह को प्रसन्न करने के लिए उनके नरसिंह गायत्री मंत्र का जाप करें | पूजा पश्चात एकांत में कुश के आसन पर बैठकर रुद्राक्ष की माला से इस नृसिंह भगवान जी के मंत्र का जप करना चाहिए | इस दिन व्रती को सामर्थ्य अनुसार तिल, स्वर्ण तथा वस्त्रादि का दान देना चाहिए | इस व्रत करने वाला व्यक्ति लौकिक दुःखों से मुक्त हो जाता है भगवान नृसिंह अपने भक्त की रक्षा करते हैं व उसकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं |


नरसिंह मंत्र... 


ॐ उग्रं वीरं महाविष्णुं ज्वलन्तं सर्वतोमुखम् |
नृसिंहं भीषणं भद्रं मृत्यु मृत्युं नमाम्यहम् ||


[ हे क्रुद्ध एवं शूरवीर महाविष्णु ! आपकी ज्वाला एवं ताप चतुर्दिक फैली हुई है... हे नरसिंहदेव ! आप सर्वव्यापी है... आप मृत्यु के भी यम हो और मैं आपके समक्ष आत्मसमर्पण करता हूँ... ]


ॐ नृम नृम नृम नर सिंहाय नमः 


इन मंत्रों का जाप करने से समस्त दुखों का निवारण होता है तथा भगवान नृसिंह की कृपा प्राप्त होती है...


ॐ नमो नारायणाय... 

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!! श्री कृष्ण : !!
''क्योंकि यदि मैं (कृष्ण) नियतकर्मो को सावधानीपूर्वक न करूं, तो हे पार्थ ! यह निश्चित है कि सारे मनुष्य मेरे पथ का ही अनुगमन करेंगे।''


कृष्ण कर्मो तथा कर्मफलों के अधीन नहीं हैं परन्तु क्योंकि वे धर्म कि स्थापना के लिए अवतरित हुए थे, उन्होंने निर्दिष्ट कर्मो का पालन किया।


!! Shree Krishn : !!
''For, if I did not engage in karma, O Partha ! certainly all men would follow My path.''


Krishn is above both karma & their results. But because He descended to establish the principles of religion, He followed the prescribed rules.

!! श्री कृष्ण : !!
''यदि मैं नित्य कर्म न करूं, तो ये सारे लोक नष्ट हो जाएं। तब मैं अवांछित जनसमुदाय को उत्पन्न करने का कारण हो जाऊंगा और सम्पूर्ण प्राणियो की शांति का विनाशक बनूँगा।''

!! Shree Krishn : !!
''If I should cease to work, then all these worlds would be put to ruination. I would also be the cause of creating unwanted population, and I would thereby destroy the peace of all sentient beings.''

अवांछित जनसमुदाय वो है जो दुष्कर्मो से समाज की शांति को भंग करता है और ऐसा समुदाय धर्म का नाश निश्चय ही कर देता है।

Unwanted population disturbs the peace of the general society & such population finally becomes the reason of destruction of Dharma.

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!! श्री कृष्णा !!
जन्म तेरा बातों ही बीत गयो
रे तुने कबहूँ न कृष्ण कह्यो

पांच बरस का भोला रे भला अब तो बीस भयो
मकर पचीसी माया कारण देश विदेश गयो

तीस बरस की अब मति उपजी लोभ बढे नित नयो
माया जोरी लाख करोरी अजहूँ न तृप्त भयो

वृद्ध भयो तब आलस उपजी कफ्फ नित कंठ रह्यो
संगती कबहूँ न किनी बिरथा जनम लियो

यह संसार मतलब का लोभी झूठा ठाठ रच्यो
कहत कबीर समझ मन मुरख तू क्यों भूल गयो

रे तूने कबहूँ न कृष्ण कह्यो


!! श्री कृष्णा !!

सुख दु:ख मेँ इसको पुकारा करते हैँ ।
इसकी बदौलत हम गुजारा करते हैँ ।
दुनिया मेँ बस एक यही मेरा साथी है ।
याद करुं तो अँखिया भर भर आती है ।।
बडां प्यारा है "श्याम" इसकी ये सूरत दिल मेँ बस गयी हैँ ।
लगा रखी है एक मूरत उसी की याद कर कर के ।
"श्याम" को याद करते चरण मेँ शीश धर धर के ।
हम अपना जीवन संवारा करते हैँ ।।
।। जय श्री श्याम ।।

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‎"नैया तूँ करदे श्याम हवाले,
लहर-लहर हरी आप संभाले।
सहज किनारा मिल जायेगा,
परम सहारा मिल जायेगा।



इन सब पेजों पर आपके लिए बहुत कहानिया है,



{ Anand Verma }

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